कलेक्टर ने पेश की मिसाल: गरीब 15 वर्ष की लड़की की मदद के लिये आगे आये पिता का हो चुका है निधन, मां करती है मजदूरी।
बैतूल। कलेक्टर शशांक मिश्र का दिल एक 15 साल की किशोरी के लिए पिघल गया। वे इस किशोरी की पूरी मदद कर रहे हैं। मुलताई की रहने वाली पंद्रह वर्षीय उजमा शुगर जैसी लाइलाज बीमारी से पीडि़त है। शुगर का लेवल 400 से ऊपर पहुंच जाने के कारण उजमा को रोजाना इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है। पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इस बीमारी का खर्चा उठा पाए। उजमा की मां मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चला रही है लेकिन बेटी के इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं है। उजमा की मां ने मदद के लिए जब कलेक्टर शशांक मिश्र से गुहार लगाई तो सरकारी योजना में दवाईयां दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण वे सरकारी तौर पर मदद तो नहीं कर पाए, लेकिन व्यक्तिगत रूप से कलेक्टर पिछले एक साल से इलाज में लगने वाली मेडिसन (इंसुलिन)हर महीने उजमा की मां को उपलब्ध करा रहे हैं।
घर पर फ्रीज नहीं होने पर पड़ोसी के घर रखती है दवा-
दो दिन पहले कलेक्टोरेट में अपनी बेटी उजमा के लिए दवा लेने पहुंची उसकी मां ने बताया कि पति नूर मोहम्मद के लंबी बीमारी से निधन के बाद वह मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रही है। बेटी के इलाज के लिए कई बार पैसे नहीं बच पाते थे जिसके कारण वह कलेक्टर के पास मदद के लिए पहुंची थी। कलेक्टर द्वारा जो दवाईयां(इंसुलिन) दी जाती है उन्हें फ्रीज में रखना पड़ता है। चूंकि गरीब परिस्थिति होने के कारण घर में फ्रीज नहीं है इसलिए पड़ोसियों के यहां उजमा की मां दवाईयां रखवाती है। उजमा की मां का कहना था कि बेटी के इलाज के लिए दवाईयों की मदद से मिलने से उन्हें काफी राहत है नहीं तो घर चलाना भी मुश्किल था। किराये के मकान में रह कर वह गुजर-बसर कर रही है।
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